Jul 3, 2008

चूहे खा जाते है प्रति वर्ष २० लाख टन अनाज

पटना-यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि राज्य में आम आदमी को खाने के लिए अनाज मिले या न मिले पर प्रति वर्ष करीब २० लाख मीट्रिक टन अनाज चूहों के पेट में जरूर जाता है। आदमी भले ही भूखे पेट रह जाए, पर अब चूहे खाली पेट दंड नहीं पेलते हैं। उत्पादन का कुछ भाग अन्य रूप में भी बर्बाद होता है सो अलग।
राज्य में अनाज भंडारण की आज तक वही पुरानी और परंपरागत व्यवस्था कायम है। अनाज भंडारण के लिए राजधानी में १७७८ का बना पहला गोदाम गोलघर हो या पिछले तीन-चार दशक के अंदर निर्मित हुआ किसी भी शहर में कृषि उत्पादन बाजार समिति का शैलो हो। एफसीआई का गोदाम हो या बिहार राज्य खाघ निगम का गोदाम। कोई भी गोदाम अनाज सुरक्षा की दृष्टि से महफूज नहीं है। गांव के घरों में भी सैकड़ों वर्ष पुरानी और परंपरागत बरारी, कोठी आदि के अलावा भंडारण की कोई अन्य व्यवस्था नहीं है। नतीजतन चूहे गोदामों में सुरंग करने में पीछे नहीं हैं। अनाज भंडारण की सुरक्षा के लिए आज तक किसी वैज्ञानिक पद्धति का नहीं अपनाया जाना इस क्षति का एक प्रमुख कारण है। यह अलग बात है कि राज्य सरकार अब अनाज भंडारण और सुरक्षा के प्रति चिंतित हुई है।
एक अनुमान के मुताबिक बिहार जैसे गरीब और कृषि पर निर्भर राज्य में प्रति वर्ष कम से कम २० लाख मीट्रिक टन अनाज चूहे हजम कर जाते हैं, जो कुल उत्पादन का करीब १० प्रतिशत है। यह क्षति देश भर में दो करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा है। १९७५ में यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार अनाज की यह क्षति बिहार में १६ लाख और पूरे देश में दो करोड़ मीट्रिक टन थी। यह क्षति कुल उत्पादन का करीब १० प्रतिशत है। बहुत हद तक संभव है कि ३३ वर्ष पूर्व हुए इस सर्वे का आंकड़ा आज की तारीख में कई गुणा बढ़ जाएगा। रिपोर्ट में क्षति का कारण अनाज में रोग लगना, आर्द्रता एवं पर्याप्त भंडारण का अभाव बताया गया है।
कृषि पर निर्भर इस राज्य में जहां कुछ लोग भूखे रह जाते हैं, वहीं २० लाख मीट्रिक टन अनाज सीधे चूहों के पेट में जाना क्या कोई मायने नहीं रखता है। १९७५ के सर्वे के बाद से कई सरकारें आईं और गईं, पर किसी ने इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया। राज्य में औसत उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष १६० लाख मीट्रिक टन है, जबकि भंडारण की क्षमता मात्र १३.४० लाख मीट्रिक टन ही है।
इस कृषि वर्ष में राज्य सरकार अनाज उत्पादन बढ़ाने के साथ उसके भंडारण के प्रति भी गंभीरता दिखा रही है। सहकारिता विभाग ने प्रत्येक पंचायत में वैज्ञानिक पद्धति से २०० मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता वाले डॉरमेट्री गोदामों का निर्माण करने की योजना बनाई है। एक गोदाम के निर्माण पर करीब १५ लाख रूपए का खर्च अनुमानित है। इसके अलावा ४० हजार मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता वाले एक गोदाम का निर्माण किया जाना है। इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना मद से १९.२९ करोड़ रूपए बिहार राज्य खाघ निगम को मिल चुके हैं। अगले माह से कार्य शुरू होने की संभावना है। साथ ही १ लाख ३० हजार मीट्रिक टन अनाज भंडारण के लिए भी गोदाम निर्माण करने की योजना है।

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