Sep 24, 2008

मुंबई पुलिस नें किया ५ आतंकियों को गिरफ्तार

मुम्बई, २४ सितम्बर- देशभर में हुए बम विस्फोट के सिलसिले में मुम्बई पुलिस की अपराध शाखा ने ५ आतंकवादियों को भारी मात्रा में विस्फोटक हथियारों के साथ महानगर के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार किया है।
मुम्बई पुलिस के आयुक्त हसन गफूर ने मीडिया को पकड़े गए पांचों आतंकवादियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इनमें से दो आतंकवादी सॉफ्टवेयर इजीनियर हैं। मुम्बई के पुलिस कमिश्नर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये आतंकवादी मुम्बई में गणेशोत्सव के दौरान आतंकी कार्रवाई करना चाहते थे। इन आतंकवादियों के पास जो हथियार बरामद हुए हैं उनमें हल्की मशीनगन, डेटोनेटर, बॉल बेयरिंग और रिवॉल्वर शामिल हैं।
पकड़े गए आतंकवादी सभी आतंकवादी आजमगढ़ (उत्तरप्रदेश) के रहने वाले हैं। ये सभी सिमी के सदस्य हैं और बाद में इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ गए। इन आतंकवादियों में से ३२ वर्षीय अफजल उस्मानी आजमगढ़ का रहने वाला है। उसने नवी मुम्बई से ४ कार चुराई थीं, जिनका अहमदाबाद धमाकों में इस्तेमाल किया गया था। अफजल पर १९९६ से अबतक मुम्बई में नौ मामले दर्ज हैं। यह एकमात्र आतंकवादी है जिसका पुलिस के पास आपराधिक रिकॉर्ड पहले से है।
३० वर्षीय मोहम्मद सादिक शेख एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। फिलहाल मुम्बाई के चीता कैम्प का रहने वाला सादिक इंडियन मुजाहदीन का सबसे खास सदस्य था। मोहम्मद आरिफ शेख को मुंब्रा से गिरफ्तार किया गया है। उसे बम के सर्किट बनाने में विशेष महारत हासिल है। वर्ष २००५ के बाद के सभी बम धमाकों में उसका हाथ है। मोहम्मद जाकिर शेख आजमगढ़ का रहने वाला है तथा भिंवडी में रह रहा था। सूरत में बरामद हुए बम में उसका हाथ है। शेख मोहम्मद अंसार ट्रांबे में रह रहा था। वह भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
इन आतंकवादियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक, डिटोनेटर, १० किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, बॉल बियरिंग, इलेक्ट्रानिक सर्किट, एक मशीनगन, २ पिस्टल भी बरामद किया गया है। मुम्बई पुलिस कमिश्नरर ने अपनी पत्रकार वार्ता में कहा कि ये गिरफ्तारियां अन्य राज्यों की पुलिस से जानकारी के आदान-प्रदान से संभव हो पाई हैं।
उन्होंने खासतौर पर मुम्बई के उन आम लोगों की तारीफ की और बधाई दी जिनकी मदद और दी हुई जानकारी से मुम्बई पुलिस के लिए इन कट्टर आतंकवादियों को पकड़ना संभव हुआ है।
आज हुई पत्रकार वार्ता में मुम्बई संयुक्त पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने एक और अहम खुलासा करते हुए यह भी बताया कि पुलिस को अब रोशन खान नामक आतंकवादी की सरगर्मी से तलाश है, जिसने सादिक नामक आतंकवादी के साथ मिलकर ‘इंडियन मुदाहिद्दीन’ बनाया है। रोशन खान कर्नाटक का रहने वाला है।
मुम्बई पुलिस ने कहा कि देशभर में आतंकवादियों के खिलाफ की जा रही धरपकड़ आगे भी जारी रहेगी और लोगों से सतर्क रहने को कहा गया है।
आज हुई पत्रकार वार्ता में मुम्बई पुलिस ने कहा है कि पकड़े गए पांच में से तीन आतंकवादियों ने ‘विदेश’ में ट्रेनिंग ले रखी है। हालांकि पत्रकारों द्वारा ‘विदेश’ का अर्थ पूछने पर शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने किसी देश का नाम लेने से इंकार कर दिया।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबको सहयोग देना होगा: राष्टपति

लखनऊ, २४ सितम्बर- (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने हाल के दिनों में देश में आतंकवादी घटनाओं में हुई बढ़ोतरी और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रत्येक नागरिक को सहयोग देना होगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में साहित्य में डाक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित होने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि आज आतंकवाद विकास का सबसे बड़ा दुश्मन है। देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दे।
पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में आतंकवाद से मुकाबला करने वाले सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों की सराहना करते हुए प्रतिभा पाटिल ने आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा को श्रध्दांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें भटके हुए अपने कुछ युवाओं के मन से घृणा निकालनी होगी और उन्हें शांति और साम्प्रदायिक सद्भाव के रास्ते पर लाना होगा।

न्यायालयों की भाषा बदलकर हिंदी करने पर विचार

नई दिल्ली, २४ सितम्बर- विधि आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के फैसलों को अंग्रेजी की बजाए हिंदी में लिखा जाना चाहिए। विधि आयोग की ओर से जल्दी ही इस बारे में रिपोर्ट दिए जाने की संभावना है कि क्या सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के लिखित फैसलों की भाषा बदलकर हिंदी कर दी जाए।
संसद की एक समिति ने इस बात की सिफारिश की है कि शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट की भाषा हिंदी होनी चाहिए। हालांकि संविधान के अनुच्छेद ३४८ के मुताबिक शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी है।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए आर लक्ष्मणन ने कहा कि इस मुद्दे पर जल्दी ही कानून और न्याय मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। कानून मंत्रालय की ओर से मामले को आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति लक्ष्मणन को भेजे जाने के बाद इस पर प्रख्यात विधिशास्त्रियों सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों एवं वरिष्ठ अधिवक्ताओं से राय मांगी गई थी। आयोग ने जो मसौदा तैयार किया है उसके अनुसार कई विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की है कि अदालतों की भाषा बदलकर हिंदी नहीं की जानी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि अदालतों विशेषकर सुप्रीम व हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी बनी रहनी चाहिए क्योंकि भाषा हिंदी करने का अभी समय नहीं आया है।