Jun 30, 2008

मुंबई में भारी बरसात जनजीवन अस्त-व्यस्त

मुंबई- मुंबई में भारी बरसात से कारण यहाँ के लोगों की मुश्किलें काफी बढ गयी है । मुंबई के निचले इलाके में पानी भरने की ख़बर है । मौसम विभाग ने कल अपनी चेतावनी जारी करते हुए बताया था कि पिछले २४ घंटे में भारी बरसात होगी और सुबह ११.०० बजे से हाई टाईट चेतावनी दी गई है । लोगों का गुस्सा मुंबई महानगर पालिका पर फूट रहा है बताया जाता है कि म० न० पा० भष्टाचार में आकंठ तक डूबे होने के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो रही है ।
पिछले दिनों म०न०पा० एवं एम० एम० आर० डी० ए० संयुक्त रूप से मुंबई की जनता को आश्वासन दिया था कि ए दोनों संस्थाए मिलजुल कर कार्य करेंगे और मुंबई की जनता को बरसात समेत अन्य समस्याओं से निदान दिलाएगे किंतु यह कोरा आश्वासन ही साबित हो रहा है । बरसात के कारण हो रहे जल भराव से मुंबई की जनता भारी परेसानी का सामना करना पड़ रहा है ।
बरसात के चलते कई जगहों पर रेल के ट्रैक पर पानी भर जाने से मुंबई की लोकल रेल एवं सड़क बाधित हो गयी है रेल सेवा घाटकोपर विद्याविहार के बीच ठप्प पड़ गयी बताया जा रहा है । तथा हार्बर लाईन को बंद कर दिया गया है । सेन्ट्रल लाईन पर भी लोकल ट्रेनें नहीं चल रही है और वेस्टर्न लाईन पर लोकल ट्रेनें देरी से चल रही है । वेस्टर्न एक्सप्रेस हायवे पर भी पानी भरने के कारण जाम लग गया है
जल भराव से प्रभावित क्षेत्र कोलाबा, ग्रांटरोड, परेल, हिंदमाता, दादर, चिंचपोकली, सायन, सांताक्रूज़, मिलन सबवे, अंधेरी, जोगेश्वरी, गोरेगाव, मालाड, मालाड सबवे, कांदीवली, के निचले इलाके पानी में डूब गये है । मौसम विभाग के अनुसार दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में २०० मिलीमीटर, जबकि सांताक्रुज उपनगर में १४३ मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
भारी बरसात के वजह से अम्बरनाथ के इलाके में दीवार गिरी तथा दीवार से दब कर तीन व्यक्तियों के मरने और चार के घायल होने की ख़बर है । इस बीच मनपा आयुक्त नें मुंबई वासियों से अपील की है कि अगर जरूरी न हो तो घर से बहार न निकलें ।

मोबाइल फोन सेवा सस्ती होगी

दूरसंचार नियामक ट्राई ने शुक्रवार को कहा कि वह टर्मिनेशन शुल्क की समीक्षा करने के दूरसंचार विभाग के सुझाव पर विचार कर रहा है।
ट्राई के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कहा हमें दूरसंचार विभाग से पत्र प्राप्त हुआ है। उन्होंने मौजूदा टर्मिनेशन शुल्क पर पुनर्विचार का सुझाव दिया है, जिस पर हम विचार कर रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या टर्मिनेशन शुल्क में कमी की कुछ गुंजाइश है, उन्होंने कहा कि हम इस पर विचार कर रहे हैं।
टर्मिनेशन शुल्क घटने से उपभोक्ताओं के लिए मोबाइल फोन पर बातचीत करना और सस्ता हो जाएगा। एक कॉल में तीन प्रमुख तत्व होते हैं- उद्भव, कैरेज और समापन। टर्मिनेशन शुल्क का भुगतान उस आपरेटर द्वारा किया जाता है, जिसके नेटवर्क से काल शुरू होती है। इस शुल्क का भुगतान उस ऑपरेटर को किया जाता है, जिसके नेटवर्क पर काल समाप्त होती है।
मौजूदा समय में ऑपरेटरों द्वारा तीस पैसे प्रति मिनट की दर से टर्मिनेशन शुल्क का भुगतान किया जाता है। दूरसंचार विभाग ने इसे घटाकर दस पैसे प्रति मिनट पर लाने का सुझाव दिया है। इससे कॉल की दर बीस पैसे प्रति मिनट घट जाएगी।

भारतीय स्टेट बैंक ने जमाराशि पर ब्याज बढ़ाया

प्रमुख उधारी दर बढ़ाने के एक दिन बाद देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने जमा की ब्याज दरों में पौना फीसदी (०.75 आधार अंक) तक की बढ़ोतरी करने की शुक्रवार को घोषणा की है, जो 30 जून से प्रभावी होगी।
मुंबई स्टाक एक्सचेंज को दी जानकारी में एसबीआई ने बताया कि 181 दिनों से लेकर एक साल से कम अवधि के लिए जमा की ब्याज दर 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दी गई है।
एक साल से लेकर तीन साल से कम अवधि के लिए जमा की ब्याज दर 8.75 फीसदी से बढ़ाकर 9.5 फीसदी कर दी गई है। जबकि तीन साल से लेकर पाँच साल से कम अवधि के लिए जमा पर ब्याज दर 8.85 फीसदी से बढ़ाकर 9 फीसदी कर दी गई है। हालाँकि 180 दिनों तक की अल्पावधि की जमाओं पर ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा गया है।
बैंक ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी जमा की ब्याज दरें बढ़ाई हैं। उनके लिए एक साल से लेकर तीन साल से कम अवधि की जमाओं पर ब्याज दर 9.25 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी गई है।

स्कूल की फीस बहुत ज्यादा अभिभावक

दस में से नौ माता-पिता मानते हैं कि उनके बच्चे की स्कूल की फीस वास्तव में बहुत ज्यादा है और इसके भरने के लिए कई कठिनाइयों का सामना करते हैं। उद्योग संगठन एसोचैम के आज यहाँ जारी एक सर्वेक्षण में यह दावा करते हुए कहा गया कि स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे का वार्षिक खर्च औसतन 65 हजार रुपए हो गया है जो वर्ष 2005 में 25 हजार रुपए प्रति वर्ष था। संगठन ने इस दौरान सर्वेक्षण में शामिल किए गए माता-पिताओं की वार्षिक आमदनी में 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इस सर्वेक्षण में दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, देहरादून, पुणे, बंगलुरु, चेन्नई और चंडीगढ़ के लगभग 2000 हजार दंपत्तियों को शामिल किया गया। देश के लगभग तीन करोड़ बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिनकी फीस मुद्रास्फीति के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ती है।

कच्चे तेल की कीमत 143 डॉलर की नई ऊंचाई पर

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों के सोमवार को 143 डॉलर प्रति बैरल की नई रिकॉर्ड ऊँचाइयों पर पहुँचने के बाद फ्रांस के ट्रक मालिकों ने तेल की बढ़ती हुई कीमतों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया।
डॉलर के कमजोर होने की वजह से शुक्रवार को न्यूयॉर्क कच्चा तेल अब तक की रिकॉर्ड ऊँचाई १४२.99 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गया। तेल का मूल्य डॉलर में आँका जाता है और डॉलर के कमजोर होने से तेल की माँग में भी बढ़ोतरी हुई है।
यूरोपियाई ट्रेडिंग के शुरू में आज लंदन ब्रेंट क्रूड गत शुक्रवार की अपनी पूर्व रिकॉर्ड ऊँचाई में एक सेंट की बढ़ोतरी के साथ 142.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुँच गया।

'परमाणु क़रार लागू करने से पहले संसद का सामना करेंगे'

देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले कुछ दिनों की अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वामदलों की समर्थन वापसी की चेतावनी को दरकिनार कर दिया सोमवार को कुछ पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार अमरीका के साथ संभावित परमाणु क़रार को लागू करने से पहले संसद का सामना करने के लिए तैयार है ।
उन्होंने इस बात की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी(आईएईए) और परमाणु आपूर्ति समूह(एनएसजी) के साथ समझौते की प्रक्रिया पूरी करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "हमें परमाणु क़रार पर चल रही प्रक्रिया पूरी करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए. एक बार हम इसे पूरा कर लें, फिर हम संसद के सामने इसे रखेंगे."
प्रधानमंत्री का यह ताज़ा बयान एक दिन पहले ही यानी रविवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की चेतावनी के बाद आया है जिसमें सीपीएम ने स्पष्ट कहा था कि अगर सरकार परमाणु क़रार पर आगे बढ़ती है तो वे यूपीए से समर्थन वापस ले लेंगे ।
वामपंथी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं पर वामदलों और सरकार के बीच पिछले कुछ महीनों से परमाणु क़रार के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है ।
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि जहाँ कांग्रेस परमाणु क़रार को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आ रही है वहीं वामदल क़रार को किसी भी क़ीमत पर लागू होते नहीं देखना चाहते हैं ।
अब इस मुद्दे पर अगर वामदल सरकार से समर्थन वापस लेते हैं तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी । हालांकि सीपीएम महासचिव के बयान के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उनकी सरकार को वामदलों के समर्थन वापस लेने से कोई ख़तरा नहीं पैदा होने वाला ।
इसके ठीक बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह ताज़ा बयान इस बात को और पुष्ट करता है कि सरकार परमाणु क़रार के मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है । हालांकि सोमवार को अपने बयान में प्रधानमंत्री ने यह भी विश्वास जताया है कि परमाणु क़रार के मसले पर सरकार वामदलों सही अन्य राजनीतिक दलों की चिंता को भी ध्यान में रखकर आगे बढ़ेगी ।