Sep 29, 2008

आईसीआईसीआई बैंक का शेयर गिरा

अमेरिकी वित्तीय संकट की काली छाया सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक पर दिखाई दी। विदेशी संस्थानों की बिकवाली और ऋण संकट के प्रभाव की चिंता में आईसीआईसीआई बैंक का शेयर आज कामकाज के दौरान करीब १४ प्रतिशत लुढ़क गया।
देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई का शेयर मूल्य इस साल अब तक ६० प्रतिशत तक घट चुका है। हालाँकि बैंक ने अमेरिकी वित्तीय संकट के असर से खुद को दूर बताते हुए कहा है कि उसका अमेरिकी सबप्राइम संकट में सीधे कोई धन लिप्त नहीं है। उसका ९८ प्रतिशत गैरभारतीय निवेश रेटिंग एजेंसियों ने निवेश ग्रेड में रखा है।
बैंक शेयरों में आई गिरावट पर एसबीआई म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधकों का कहना है कि जहाँ-जहाँ विदेशी संस्थानों ने शेयर खरीदे थे, वहाँ बिकवाली से करेक्शन हो रहा है। कई तरह की अफवाहें चल रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि भारतीय बैंकों के लिए इतनी बड़ी समस्या है कि उनमें से कोई टूट जाए।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई में विदेशी भागीदारी ७० प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। बैंक ने माना कि उसका दिवालिया हो चुकी लेहमन ब्रदर्स में ८.१० करोड़ डॉलर का एक्सपोजर है।
ज्यों-ज्यों अमेरिकी वित्तीय संकट का असर बढ़ता जा रहा है, उसका असर भारतीय बाजार में भी दिखने लगा है। इसके परिणामस्वरूप शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। बैंक का शेयर आज १२.११ प्रतिशत अथवा ६७.९५ रुपए के नुकसान से ४९३.३० रुपए रह गया।

जरदारी पर भारत को भरोसा नहीं

नई दिल्ली, २९ सितम्बर- भारत के साथ बेहतर रिश्तों को लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भले ही उत्सुक हों, लेकिन नई दिल्ली इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि जरदारी आतंकवाद के खिलाफ अपने वादे को निभा पाएंगे।
न्यूयार्क में बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जरदारी के बीच हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान ने छह जनवरी २००४ के घोषणापत्र पर कायम रहने की बात दोहराई थी।
उस घोषणापत्र में पाकिस्तान ने अपनी जमीन से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमले की अनुमति नहीं देने का वादा किया था।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को कहा कि भारत की दृष्टि से संयुक्त बयान एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें जरदारी सार्वजनिक मंच से सीमापार आतंकवाद पर टिप्पणी के लिए राजी हो गए थे।
सूत्रों ने कहा कि जरदारी वचनबद्ध हैं लेकिन अभी यह देखा जाना बाकी है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कहां तक कार्रवाई कर पाते हैं।
वाशिंगटन में गुरुवार को प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के बीच हुई मुलाकात में भी पाकिस्तान का मुद्दा छाया रहा।

प्राथमिकी दर्ज करने से पूर्व पुलिस को सत्यापन का अवसर

नयी दिल्ली २९ सितम्बर- उच्चतम न्यायालय ने आज संकेत दिया कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने से पूर्व मामले के सत्यापन का अवसर दिया जाना चाहिए ।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन, न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम एवं न्यायमूर्ति जे एम पांचाल की पीठ ने ललिता कुमारी की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया । इस मामले की अगली सुनवाई १६ दिसम्बर को होगी ।
याचिका के अनुसार ललिता ने अपनी अवयस्क पुत्री का दबंग व्यक्तियों द्वारा अपहरण किये जाने के खिलाफ गाजियाबाद के लोनी थाने में शिकायत की थी किन्तु थाना प्रभारी ने प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय आरोपियों से साठगांठ कर वादी पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डालना शुर किया तथा इस मामले को भूमि विवाद करार देते हुए सुलझाने का सुझाव दिया ।
इससे पूर्व न्यायमूर्ति वी. एन. अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की पीठ ने इस मामले को तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष भेजा था ।