Jul 3, 2008

उप्र में सात थर्मल यूनिटें बंद, बिजली उत्पादन आधा हुआ

लखनऊ-प्रदेश में बिजली उत्पादन का काफी बुरा हाल है। बिजली उत्पादन की सात थर्मल यूनिटों के बंद होने और ‘कोल फीडिंग’ के कारण उत्पादन घटकर आधा हो गया है। यही नहीं तमाम प्रयासों के बाद भी बिजली उत्पादन का लगातार घटना अब तक बंद नहीं हुआ है। यह स्थिति तब है जब पावर कारपोरेशन में इस समय प्रदेश के चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तैनात हैं। अब विभागीय अधिकारी और कर्मचारी कहने लगे हैं कि इससे अच्छा तो पावर कारपोरेशन की स्थिति तब थी, जब इसके अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ अधिकारी तकीनीकी संवर्ग के होते थे। प्रदेश में बिजली उत्पादन की क्षमता ३९८२ मेगावाट की है, जबकि इस समय कुल उत्पादन लगभग १७०० मेगावाट हो रहा है।
प्रदेश में बिजली उत्पादन के लगातार घटने की स्थिति आज से नहीं है। यह स्थिति पिछले १५ दिनों से जारी है, लेकिन पावर कारपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारी शायद अपेक्षित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। पावर कारपोरेशन में इस समय चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अध्यक्ष प्रदीप शुक्ल, प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी, ऊर्जा सचिव वी.एन.गर्ग और उत्पादन निगम के अलोक टंडन बैठ रहे हैं, लेकिन उत्पादन की स्थिति फिलहाल आज तक नहीं सुधरी है। तापीय विघुत उत्पादन घर ओबरा की ११ नम्बर की यूनिट १८ जून से तकनीकी कारणों से बंद है। इसमें कोल फीडिंग की समस्या है। इसी तरह की समस्या आ॓बरा की 12 नम्बर की यूनिट में भी थी, जिसे आज किसी तरह से शुरू कर दिया गया।
दरअसल कोल फीडिंग वह समस्या है जिससे जहां से तापीय घर को कोयले की आपूर्ति की जाती है, उसमें नमी या अन्य कारणों से अपेक्षित उत्पादन नहीं होता है। इससे बिजली उत्पादन पर लागत ज्यादा आ जाती है। जब उत्पादन अत्यधिक कम हो जाता है तब उसे मजबूरन बंद करना पड़ता है। आ॓बरा की ९ नम्बर की यूनिट २९ जून से और १० नम्बर की यूनिटें २ जुलाई से कोल फीडिंग की समस्या से बंद हैं। इन दोनों यूनिटों की उत्पादन क्षमता २०० -२०० मेगावाट की है।
इतना ही नहीं अनपरा की ३ नम्बर की यूनिट जिसकी उत्पादन क्षमता २१० मेगावाट है, वह भी 3० जून से बंद है। यही हाल हरदुआगंज की यूनिट नम्बर ७ भी है। १०५ मेगावाट उत्पादन क्षमता की यह यूनिट २ जुलाई से बंद है। पारीछा की भी दो यूनिटें २६ व २७ जून से बंद हैं। पारीछा की ३ नम्बर की यूनिट में पीए फैन की खराबी बतायी जा रही है तो ४ नम्बर की यूनिट में ‘फायर इन टर्बाइन साइड’ की खराबी बतायी जा रही है। यह दोनों यूनिटें २१० -२१० मेगावाट उत्पाद क्षमता की हैं। इन सात थर्मल यूनिटों के बंद होने के कारण कुल उत्पादन घटकर आधा से भी कम हो गया है, लेकिन पावर कारपोरेशन के अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अन्यथा जिस प्रदेश में बिजली के लिए हाहाकार मची हो और बड़ी मात्रा में दूसरे प्रदेश से बिजली खरीदी जाती हो, वहां बिजली उत्पादन यूनिट के खराब होने पर १५ दिन लगे यह समझ से परे है।

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