
श्री एंटनी ने इस परियोजना की शुरुआत की घोषणा मेजों की थपथपाहट के बीच हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड और नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेट्री के प्रतिनिधियों की बैठक में की। रक्षा प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि भारत का अपना विमान छह साल के भीतर आकाश में उडान भरने लगेगा।
श्री एंटनी ने भारतीय क्षेत्रीय परिवहन विमान परियोजना को मील का पत्थर बताते हुए कहा “यह भी हैरत की बात है कि भारत जल्दी अपना मिशन चंद्रमा पर भेज रहा है लेकिन हमने अभी तक अपना विमान विकसित नहीं किया।” करीब चार हजार करोड़ रूपये की इस योजना का स्वागत करते हुए श्री एंटनी ने कहा कि भारत के पास क्षमता है और वह इसे साबित कर देगा। एचएएल और एनएएल ने ७० से ११० सीटों की क्षमता वाले इस विमान को विश्व स्तरीय मानकों पर खरा बनाने का संकल्प व्यक्त किया है।
तीन हजार किलोमीटर तक उडान भरने में सक्षम अपने इस विमान के जरिये भारत विश्व की नामी कम्पनियों जैसे एम्ब्रियर, बोम्बार्डियर, मित्शुबिशी, एविक सुखोई को मुकाबला देगा।
परियोजना की पहली बैठक में रक्षा सचिव विजय सिंह, (उत्पादन), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव टी के नायर, सचिव प्रदीप कुमार, हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड के अध्यक्ष अशोक बवेजा, एनएएल के अध्यक्ष ए आर उपाध्याय, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष माधवन नायर भारतीय विज्ञान एवं अनुसंधान विकास परिषद के महानिदेशक समीर ब्रह्मचारी मौजूद थे।
रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि भारत को अगले पंद्रह साल में करीब बारह से अधिक विमानों की जरूरत होगी और इसके लिए देश में ही सस्ता. टिकाऊ कम रखरखाव खर्च वाला विमान चाहिये था। यह जरूरत देश ने खुद ही पूरी करने का निर्णय लिया है।