Jul 2, 2008

माओवादी हमले पर आन्ध्र और उडीसा की सरकारें भिडी

उडीसा के मलकानगिरी जिले में सुरक्षाकर्मियों पर हुए माओवादियों के हमले के बाद आन्ध्र एवं उडीसा की सरकारें एक-दुसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में लग गयी है । दोनों राज्यों के मंत्री नेता और वरिष्ठ अधिकारी एक-दुसरे पर दोषारोपण कर रहे है और उधर दोनों राज्यों की पुलिस माओवादी हमले में बचे सुरक्षाकर्मियों की तलाश में लगी हुई है ।
रविवार को माओवादियों नें उडीसा के चित्रकुंडा थाना क्षेत्र के एक जलाशय में आंध्र प्रदेश के उग्रवाद रोधी दस्ते के नाव पर हमला किया और उनकी नाव डुबो दी ।
सोमवार को आंध्र प्रदेश के गृहमंत्री के० जेना रेड्डी नें उडीसा पुलिस पर इस हमले की जिम्मेदारी डाली उन्होंने कहा कि "उडीसा में सड़क, खुफिया जानकारी और पुलिस तंत्र कमजोर है वो हमारी तरह तेज-तर्रार नही है । वो माओवादियों के खिलाफ उतनी तत्परता से कार्रवाई नहीं करती जैसे हम करते है "
उधर मंगलवार को उडीसा के गृह सचिव तरुण कांति मिश्रा नें आन्ध्र के गृहमंत्री के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि "ग्रेहाउड फोर्स के जवानों नें रणनीतिक गलती की है उन्हें जल के रास्ते के बजाय जमीन के रास्ते से जाना चाहिए था उन्होंने अपने ही दिशानिर्देशों की अवहेलना की उन्होंने बताया कि कभी भी तलाशी अभियान में जल का रास्ता नहीं अपनाया जाता है" मिश्रा ने यहां तक कहा कि इन जवानों ने दिन के उजाले में यात्रा की जो ग़लत तरीका है ।
माओवादियों के इस हमले में बचे हुए जवान किसी तरह तैर कर जलाशय से बाहर निकले। उनका कहना था कि ग्रेहाउंड यूनिट के सभी जवान तीन दिन से चल रहे तलाशी अभियान के बाद बुरी तरह थक चुके थे और बेस कैंप लौटने की जल्दी में उन्होंने सुरक्षा निर्देशों का पालन नहीं किया ।
इस हमले में बचे एक कांस्टेबल एक सुब्रमण्येश्वर राव का कहना था, "हमें २५ किलोमीटर का लंबा रास्ता पैदल तय करके बेस कैंप जाना चाहिए था जिसमें २४ घंटे लगते लेकिन हम इतना थक चुके थे कि हमने जलाशय का रास्ता अपनाया जो हमें भारी पड़ा" इतना ही नहीं जवानों ने यात्रा से पहले रास्तों की पर्याप्त जांच भी नहीं करवाई थी । इस बीच जलाशय से एक और शव निकाला गया है जिस पर गोली के निशान हैं ।
जिस मोटर लांच ( नौका) में ये सुरक्षाकर्मी सवार थे उसका ड्राइवर मनोरंजन डे हमले में बच गया था। उन्होंने बताया कि वो किसी तरह पानी में कूदे और जान बचाकर भागे लेकिन किनारे पर उन्हें माओवादियों ने पकड़ लिया । डे के अनुसार जब उन्होंने माओवादियों को बताया कि वो पुलिसवाले नहीं बल्कि ड्राइवर हैं तो उनकी जान बख्श दी गई ।

No comments: