Jul 2, 2008

कोचिंग का करोबार १० हजार करोड का .. एसोचैम सर्वे

नई दिल्ली २ जुलाई- देश में चल रहे हजारों कोचिंग केंद्र प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी में प्रवेश के इच्छुक करीब छह लाख छात्रों से हर साल लगभग १० हजार करोड रूपए कमाते हैं । शिक्षा के बाजारीकरण का यह चौकाने वाला तथ्य उद्योग व्यापार जगत के संगठन एसोचैम के एक ताजा सर्वेक्षण से सामने आया है ।
उच्च शिक्षा व्यवस्था की एक और खामी गिनाते हुए सर्वे में कहा गया है कि ८० हजार से ९० हजार छात्र शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं । यदि हर छात्र १५ लाख रूपए ही खर्च करता है तो भी विदेशी मुद्रा के रूप में देश का १० हजार करोड रूपए विदेशों में चला जाता है ।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी करते हुए एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने आज कहा कि कोचिंग केंद्र जितनी कमाई करते हैं उससे देश में एक वर्ष में ४० नए अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खोले जा सकते है । उन्होंने शिक्षा की वर्तमान प्रणाली को नियंत्रण मुक्त करने की वकालत करते हुए कहा कि इस समय चल रही व्यवस्था का फायदा धंधेबाज उठा रहे हैं ।
सर्वे के अनुसार आईआईटी में प्रवेश का इच्छुक हर एक छात्र कम से कम एक लाख ७० हजार रूपए कोचिंग पर खर्च करता है । इस प्रकार कुल छह लाख अभ्यर्थियों के जरिए कोचिंग केंद्र हर वर्ष १० हजार करोड रूपए की कमाई करते हैं1 इस सर्वे में दिल्ली मुंबई कोलकाता मुंबई चेन्नई हैदराबाद और वारणसी जैसे महानगरों को ही शामिल किया गया है ।
सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में हर वर्ष चार से पांच लाख छात्र स्नातकोत्तर प्रबंधन शिक्षा के लिए आवेदन करते हैं उनमें से ५० प्रतिशत छात्र कोचिंग का सहारा लेते हैं । यदि एक कोचिंग केंद्र प्रति छात्र ५० हजार वार्षिक फीस लेता है तो कुल कारोबार एक हजार करोड रूपए का होता है । हर छात्र लगभग चार पांच प्रबंधन संस्थानों में आवेदन करता है जिसपर २० से ३० हजार रूपए खर्च करने पडते हैं । यही धनराशि प्रतिवर्ष ५०० .. ६०० करोड रूपए हो जाती है ।
एसोचैम का कहना है कि नये आईआईटी और आईआईएम खोलने पर रोक हटा कर तथा सरकारी नियंत्रण खत्म कर दिया जाये तो देश मे पर्याप्त संख्या में अच्छे संस्थान खोले जा सकते हैं । इससे कोचिंग और विदेशी शिक्षा पर खर्च पर अंकुश लगेगा ।
सर्वे में कहा गया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक करोड २० लाख छात्र पंजीकृत हैं । जिनके लिए केवल साढे तीन लाख अध्यापक हैं जो अपर्याप्त है ।

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