Jul 20, 2008

वृन्दावन में विधवाएं जीवन का अभिशाप भोग रही हैं

वृन्दावन, २० जुलाई, जीवन-मरण से मुक्ति की आस लेकर सुदूर पश्चिम बंगाल से पतितपावन वृन्दावन नगरी में अपना वैधव्य गुजारने आयी अधिसंख्य महिलाएं आश्रमों में भजन गायन अथवा श्रद्धालुओं से भिक्षा लेकर निराश्रितों की तरह जीवनयापन को मजबूर हैं ।
शहर की पुरपेंच गलियों में सिर मुडाये चेहरे पर असंख्य झुर्रियां लिए अपनी बूढी देह को एक लाठी के सहारे इन महिलाओं को राधे-राधे की गुहार लगाकर भीख मांगते देखा जा सकता है ।
उच्चतम न्यायालय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कोशिशों के बावजूद इन उम्रदराज महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नही हुआ है ।गौरतलब है कि देश के पूर्वी हिस्से में स्थित अपने पैतृक गांव से करीब १००० किमी. का सफर तय करके अपना शेष जीवन बिताने के लिए आयी करीब २५ हजार हिन्दू विधवाएं वृन्दावन में रहती है ।

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