Jul 20, 2008

जमीन मालिक उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं

नई दिल्ली, २० जुलाई- अब वैसे बिल्डरों की खैर नहीं जो जमीन लेते समय तो मालिक की सभी शर्ते मान लेते हैं, लेकिन बाद में मुकर जाते हैं। सुप्रीमकोर्ट के अनुसार, जमीन मालिक और बिल्डर के बीच हुए करार की शर्तो का उल्लंघन होने पर जमीन मालिक उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत बिल्डर को सेवा प्रदाता और जमीन मालिक को उपभोक्ता माना जाएगा। हालांकि भूमि मालिक द्वारा शर्तो का उल्लंघन किए जाने पर बिल्डर को राहत देने के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ऐसी स्थिति में बिल्डर के लिए सिविल कोर्ट जाना ही एक मात्र उपाय है। न्यायमूर्ति आरवी रवींद्र और एलएस पांटा की पीठ ने यह व्यवस्था दी।
इस पीठ ने इस संबंध में जारी दिल्ली डिस्ट्रिक्ट फोरम, स्टेट कमीशन और नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन (एनसीडीआरसी) तीनों के आदेश को निरस्त कर दिया। तीनों ने कहा था कि भूमि मालिक कानून के मुताबिक उपभोक्ता नहीं है।
फकीर चंद गुलाटी ने सर्वोच्च न्यायालय में बिल्डर उप्पल एजेंसी प्राइवेट लि। के खिलाफ अपील की थी। गुलाटी की शिकायत थी कि एल-3, कैलाश कालोनी स्थित उनकी जमीन पर बिल्डर के साथ एक अपार्टमेंट बनाने का करार हुआ था। इसके प्रावधान के मुताबिक, अपार्टमेंट बन जाने के बाद गुलाटी पूरे ग्राउंड फ्लोर के मालिक होंगे, जिसमें तीन बेड रूम, एक ड्राइंग सह डायनिंग हाल, एक स्टोर रूम, किचन, बालकोनी, पार्किंग की जगह और एक सर्वेट क्वार्टर होगा। गुलाटी का आरोप है कि बिल्डर ने भवन निर्माण के लिए स्वीकृत ले आउट प्लान से बहुत अलग हट कर निर्माण करा दिया और कहने पर भी इसमें सुधार नहीं किया। इसके बाद उन्होंने डिस्ट्रिक्ट फोरम में शिकायत की। अंतत: मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, बिल्डर द्वारा करार की शर्तो का उल्लंघन करने पर भूमि मालिक के पास दो विकल्प हैं। वह शर्त पूरा कराने या नुकसान की भरपाई का दावा करने के लिए सिविल कोर्ट जा सकता है। इसके अलावा वह उपभोक्ता के तौर पर राहत के लिए बिल्डर यानी सेवा प्रदाता के खिलाफ उपभोक्ता फोरम जा सकता है।

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