Aug 10, 2008

हिरासत में हिंसा के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश

नई दिल्ली, १० अगस्त- हिरासत में आरोपी से मारपीट करना आईपी स्टेट थाने के पुलिसकर्मियों को महंगा पड़ गया। तीसहजारी कोर्ट ने सेंट्रल जिले के डीसीपी को निर्देश दिया है कि वे तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर मामले के जांच अधिकारी व अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक निष्पक्ष अधिकारी से जांच कराएं। वहीं, इस संबंध में ११ अगस्त को कोर्ट में रिपोर्ट दायर की जाए। साथ ही अदालत ने पुलिस हिरासत में घायल हुए आरोपी को जेल भेज दिया और जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे उसका अस्पताल में चेकअप कराएं। उसकी मेडिकल रिपोर्ट भी ११ अगस्त को ही तलब की गई है।
महानगर दंडाधिकारी पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि आरोपी को दो दिन के रिमांड पर सौंपा गया था। पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद जब उसे मेडिकल के लिए डाक्टर के पास ले जाया गया तो उसने वहां बताया कि पिछली रात हुई पिटाई से उसकी पीठ पर घाव के निशान बने हुए हैं। अदालत ने कहा कि जिस रात यह घाव बनने की बात कही गई है, उस रात आरोपी पुलिस हिरासत में था। अदालत ने खुद आरोपी की पीठ पर बने घाव को देखा। जब अदालत ने इस बारे में पूछा तो उसने सब कुछ ठीक बताया। जब अदालत ने मामले के जांच अधिकारी व उसके साथ आए कांस्टेबल को कोर्ट रूम से बाहर भेजकर अकेले में आरोपी से इस बारे में पूछा तो उसने रोना शुरू कर दिया। उसने बताया कि विकास मीनार के पास स्थित टैक्सी स्टैंड के पास उसे बुरी तरीके से डंडों से पीटा गया था। जिस कारण ये घाव बने हैं।
जब अदालत ने इस बारे में जांच अधिकारी से जानना चाहा तो उसने कहा कि उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है। वह नहीं बता सकता कि आरोपी की पिटाई किसने की है। अदालत ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि जांच अधिकारी को कुछ पता ही न हो जबकि आरोपी को रिमांड पर जांच अधिकारी को ही सौंपा गया था। अदालत ने कहा कि आरोप पुलिस हिरासत में किए गए बुरे बर्ताव की तरफ इशारा कर रहे हैं। जो आरोप लगाए गए हैं और जिसे अदालत ने खुद देखा है, वह किसी अधिकारी की ड्यूटी का हिस्सा नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि यह एक आपराधिक मामला बनता है। जिसमें जांच की जरूरत है।

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