Jul 21, 2008

'अर सिख हूं...रन में तब जूझ मरूं' : मनमोहन सिंह

नई दिल्ली, २१ जुलाई-परमाणु करार मुद्दे पर वामदलों के समर्थन वापसी के बाद विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नौवें सिख गुरु गोविन्द सिंह की वाणी का हवाला देकर कर कहा कि वह एक सिख हैं जो रण छोड़ने की बजाय लड़कर मरने का वरदान चाहता है।
१४ वीं लोकसभा के १४ वें सत्र में एक पंक्ति का विश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद अपने संक्षिप्त संबोधन का समापन प्रधानमंत्री ने गोविन्द सिंह की इन पंक्तियों से किया....
'देहु शिवा वरमोहे शुभ करमन तें कबहुं न टरूं।
न डरूं अरौं जब जाए लडूं निश्चय कर अपनी जीत करूं।।
अर सिख हूं अपने ही मन सौं इहि लालच हों गुन तौं उचरौं।
जब आव की औंध निधान बनौ अत हि रन में तब जूझ मरूं।।'
प्रधानमंत्री द्वारा विश्वास प्रस्ताव पेश करते वक्त गुरूवाणी के जरिये खुद को सिख बताने के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं और इसे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री की सरकार के खिलाफ मतदान करने के मुद्दे पर अकाली दल में कथित मतभेद से जोड़कर देखा जा रहा है।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

वाह री राजनीति, अब भगवान ओर गुरु भी याद आ गये.