नई दिल्ली, ०१ अगस्त- थोड़ी जद्दोजहद और सोच-विचार के बाद सरकार ने देर रात शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक के रूप में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी अश्विनी कुमार को नियुक्त कर दिया है। सीबीआई के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि एजेंसी कुछ देर के लिए ही सही मुखिया विहीन हो गई हो।
गुरुवार को ऐसा हुआ जब पूर्व निदेशक विजय शंकर के उत्तराधिकारी का फैसला नहीं हो सका था। लिहाजा विजय शंकर की सेवानिवृत्ति के बाद औपचारिक रूप से कोई मुखिया नहीं था। हालांकि सूत्रों की ओर से पूरा संकेत था कि लंबे समय से सीबीआई में काम कर रहे विशेष निदेशक और १९७२ बैच के राजस्थान काडर के आईपीएस अधिकारी एमएल शर्मा अगले निदेशक होंगे। लेकिन गुरुवार शाम तक सरकार की ओर को कोई निर्णय न दिए जाने से आशंका घिरने लगी थी। आखिर देर शाम फैसला हुआ। अश्विनी कुमार अगले निदेशक बनाए गए हैं। राजनीतिक हथियार बनाए जाने के आरोपों में घिरे सीबीआई के नए निदेशक के रूप में कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी से निपटने की होगी।
१९७३ बैच के आईपीएस कुमार इससे पूर्व कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते वह उनकी सुरक्षा में भी थे। वे १९९४-९९ के दौरान स्टेट विजिलेंस में रहे हैं। अश्विनी वर्ष २०००-०६ तक सीबीआई में संयुक्त निदेशक पद पर भी रह चुके हैं।
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