Jul 24, 2008

साहस की पर्याय है राहुल गांधी की नजीर 'कलावती'

नागपुर, २४ जुलाई- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को अपने भाषण में विदर्भ की जिस कलावती बंडरकर का जिक्र किया उसे कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि उसके जलका गांव को केवल आधे दिन बिजली मिलती है।
कलावती घोर गरीबी में जीवन यापन करती है और अपने घर में बिजली का कनेक्शन लगवाने की नहीं सोच सकती। इस महिला के बारे में राहुल गांधी ने लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान बात की।
हालांकि कलावती का दुखद जीवन की कहानी यह साहस और अनुशासन की कथा भी है। सात पुत्रियों और दो पुत्रों के परिवार वाली महिला ने यहां से करीब १२० किलोमीटर दूर यवतमाल जिले के जलका गांव में दिसंबर २००५ में अपने पति की मौत के बाद उम्मीद नहीं छोड़ी। विदर्भ जनांदोलन समिति एक गैर सरकारी संगठन है। जिसने विदर्भ क्षेत्र विशेष तौर पर यवतमाल में कर्ज के बोझ से दबे किसानों की सामूहिक आत्महत्या के बाद सामाजिक कार्य का बीड़ा उठाया है।
समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने बुधवार को कहा कि उनके संगठन ने दो भैंस और उसके बच्चों की शिक्षा में सहायता उपलब्ध करा कर कलावती की ओर मदद का हाथ बढ़ाया। नौ एकड़ जमीन की मालकिन कलावती ने पारंपरिक कृषि में अच्छा काम किया और काली मिट्टी में कपास तथा सोयाबीन की पारंपरिक खेती से नजीर पेश की। मुंबई के एक मराठी दैनिक ने अपने पाठकों से कुछ धन जुटाया है और दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता नियमित तौर पर उसे वित्तीय मदद उपलब्ध कराते हैं, ताकि वह संकट से उबर सके। अपने पति की मृत्यु के बाद कलावती ने न सिर्फ अपनी पुत्रियों का विवाह किया, बल्कि अपने बच्चों की देखभाल भी कर रही है।
गांधी ने जब विदर्भ क्षेत्र का दौरा करने का फैसला किया, तो अधिकारियों के एक दल ने जलका को भी चुना। इस क्षेत्र में किसानों की आत्महत्याओं की कई घटनाएं हुई हैं। गर्मी और उमस से भरी उस सुबह जब उनके मोटर वाहनों का काफिला छोटी झोपड़ी के सामने रुका तो कलावती कांग्रेस के युवा नेता को पहचान नहीं सकी। किसी ने उसके कान में कहा कि हाराहुल गांधी आहे इंदिरा गांधीचा नातू (वह राहुल गांधी हैं इंदिरा गांधी के पौत्र)। इसके बाद कलावती ने तत्काल युवा नेता का हाथ जोड़कर स्वागत किया। गांधी उसकी और देश में उसकी जैसी सैकड़ों महिलाओं की दुर्दशा से द्रवित हो गए। मंगलवार के भाषण ने उन्होंने इसीलिए परमाणु ऊर्जा की जरूरत पर बल दिया, ताकि हर शहर और गांव को चौबीसों घंटे बिजली मिल सके।
कांग्रेस नेता ने भारत अमेरिका समझौते का समर्थन किया जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत को बिजली की कमी दूर करने में मदद मिलेगी, लेकिन कलावती के घर में बिजली नहीं है।

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