जम्मू, ९ अगस्त - दिल्ली के सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के दौरे के ठीक पहले अमरनाथ संघर्ष समिति ने जम्मू में १४ अगस्त तक बंद को बढ़ाने का ऐलान किया है । साथ ही संघर्ष समिति के संयोजक लीलाकरण शर्मा ने घोषणा की है यदि इस प्रतिनिधि मंडल में कश्मीरी नेता शामिल हुए तो वे इस प्रतिनिधि मंडल से नहीं मिलेंगे ।
उन्होंने यह भी कहा है कि जब तक राज्य सरकार की ओर से अमरनाथ मंदिर बोर्ड को ज़मीन देने के मामले में सकारात्मक प्रस्ताव नहीं आएगा संघर्ष समिति राज्यपाल के प्रतिनिधियों से बातचीत नहीं करेगी । राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस मसले का समाधान निकालने के लिए एक चार सदस्यीय समिति की घोषणा की थी जिसे गुरुवार को संघर्षरत लोगों से बात करनी है ।
जबकि सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजने का फ़ैसला प्रधानमंत्री निवास पर हुए सर्वदलीय बैठक में लिया गया था । राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमरनाथ संघर्ष समिति ने इन घोषणाओं से केंद्र और राज्य सरकार दोनों को संदेश दे दिया है कि सिर्फ़ बातचीत की औपचारिकताओं से बात बनने वाली नहीं है ।
संघर्ष समिति चाहती है कि सरकार अमरनाथ मंदिर बोर्ड को वह ४० हैक्टेयर ज़मीन वापस दे दे जिसका आवंटन रद्द कर दिया गया है जबकि कश्मीरी नेताओं का कहना है कि यदि बोर्ड को ज़मीन दी गई तो संघर्ष तेज़ होगा ।
आज नौ अगस्त को दिल्ली से १८ दलों का एक प्रतिनिधि मंडल जम्मू पहुँचने वाला है इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी और गृहमंत्री शिवराज पाटिल कर रहे यह प्रतिनिधि मंडल जम्मू में एक महीने से संघर्ष कर रहे गुटों से चर्चा करना चाहता है ।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार इस प्रतिनिधि मंडल के दौरे से पहले रणनीति पर विचार करने के लिए संघर्ष समिति के २५० सदस्यों की एक बैठक हुई । दो घंटे चली इस बैठक के बाद यह निर्णय तो लिया गया कि संघर्ष समिति सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल से चर्चा करेगी । लेकिन बाद में एक टेलीविज़न चैनल से हुई चर्चा में लीलाकरण शर्मा ने कहा कि यदि इस प्रतिनिधि मंडल में कश्मीरी नेता भी शामिल हुए तो वे चर्चा नहीं करेंगे । उनका तर्क था कि कश्मीरी नेताओं के विचार सबको ज्ञात हैं और वे अमरनाथ मंदिर बोर्ड को ज़मीन देने के ख़िलाफ़ हैं और ऐसे में चर्चा का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा
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