जेनेवा। भारत ने विश्व व्यापार संगठन [डब्ल्यूटीओ] की ओर से जारी किए गए कृषि एवं औद्योगिक उत्पादों के संशोधित मसौदे पर नाराजगी जताई है। उसने २१ जुलाई को तय मंत्रिस्तरीय अहम बैठक के पहले डब्ल्यूटीओ के इन ताजा प्रस्तावों को विकासशील देशों के हितों के खिलाफ करार दिया। हालांकि उसे उम्मीद है कि वाणिज्य मंत्रियों की जेनेवा बैठक मतभेदों को दूर करने में कामयाब होगी।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी मसौदे में शामिल एंटी-कंसंट्रेशन क्लाज से नाखुश हैं। यह विकासशील देशों को अपनी मर्जी के उद्योगों को उदार आयातों से संरक्षण देने के लिए चुनने के अधिकार पर बंदिश लगाता है। उन्होंने कृषि मसौदे में छोटे और सीमांत किसानों के लिए प्रस्तावित संरक्षण के स्तर पर भी नाराजगी जाहिर की है।
दोहा दौर की बातचीत से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि भारत ऐसे किसी विश्व व्यापार समझौते को स्वीकार नहीं करेगा, जिसमें एंटी-कंसंट्रेशन जैसा कोई अनुच्छेद होगा।
उद्योग संगठन फिक्की ने कहा है कि एंटी-कंसंट्रेशन क्लाज विकासशील देशों को प्राप्त उस लचीलेपन पर बंदिश लगाता है, जो उनके घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने के लिए जरूरी हैं। सीआईआई ने भी नामा के मूलपाठ में टैरिक कटौती को लचीलेपन के साथ जोड़ने को लेकर अपनी चिंता जताई है।
डब्ल्यूटीओ के महासचिव पास्कल लैमी ने कहा कि यह संशोधित मूलपाठ दोहा दौर की बातचीत को आगे बढ़ाने में सहायक होगा। २१ जुलाई को प्रमुख वाणिज्य मंत्रियों की अहम बैठक के पहले जारी करने के पीछे मकसद दोहा समझौते तक पहुंचने के लिए मतभेद कम करने में मदद मिले।
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