Jul 6, 2008

दिल्ली के अवैध कालोनियों चल रही व्यापारिक प्रतिष्ठानों के भविष्य का फैसला कल

नयी दिल्ली, ६ जुलाई. वार्ता. उच्चतम न्यायालय राजधानी दिल्ली की उन १४०० अनधिकृत कालोनियों में चल रहे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के भविष्य का फैसला कल करेगा जो दिल्ली मास्टर प्लान २०२१ द्वारा संरक्षित नहीं हैं
न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत के नेतृत्व वाली पीठ ने मास्टर प्लान २०२१ के तहत संरक्षित अनधिकृत कालोनियों में तबतक व्यावसायिक कार्य जारी रखने का आदेश दिया था जबतक मास्टर प्लान को चुनौती देने वाली याचिकाओं का अंतिम निपटारा नहीं हो जाता ।
न्यायालय इस मास्टर प्लान के विभिन्न पहलुओं की जांच कर रहा है. जिसमें १४०० अनधिकृत कालोनियों के नियमितीकरण. अन्य अनियमित कालोनियों एवं इनमें रहने वाले २५ लाख लोगों के भविष्य के बारे में विचार करने की मांग की गयी है ।
न्यायालय ने केंद्र सरकार० दिल्ली विकास प्राधिकरण० डीडीए० और दिल्ली सरकार से यह भी पूछा है कि क्या इन कालोनियों के लिए पानी, बिजली, स्कूल, सडक, अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान है ।
दिल्ली नगर निगम ने गत शुक्रवार को न्यायालय में हलफनामा दायर कर मास्टर प्लान २०२१ के तहत असंरक्षित क्षेत्रों में सीलिंग की कार्रवाई की तिथि इस आधार पर टालने की अनुमति मांगी हैं कि डीडीए कुछ और क्षेत्रों को मिश्रित उपयोग की भूमि के रूप में चिह्नित करने जा रहा है1 ऐसी स्थिति में डीडीए की ओर से अधिसूचना जारी होने तक सीलिंग की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ।
सीलिंग पर नजर रखने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त निगरानी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें इस बात को लेकर शिकायत की गयी है कि निगम न्यायालय के आदेश पर अमल की दिशा में अपने कदम वापस खींच रहा है ।
गर्मी की छुट्टी के बाद उच्चतम न्यायालय कल से खुल रहा है ।

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