लखनऊ, ४ अगस्त- उत्तरप्रदेश की राजघानी लखनऊ में इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिए लोग यानी मुर्दे भी तिरंगा फहराएँगे।
मृत घोषित लोगों के संगठन 'मृतक संघ' के अध्यक्ष लालबिहारी ने बताया कि जो लोग अफसरशाही के चलते सरकारी कागजों में जीते-जी मृत घोषित कर दिए गए हैं, वे १५ अगस्त को विधानसभा के सामने स्थित धरनास्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएँगे। प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए इन 'जीवित मृतकों' ने यह अनूठा रास्ता अपनाने की घोषणा की है।
लालबिहारी ने बताया कि आजमगढ़ जिले के रहने वाले एक व्यक्ति को हाल ही में राजस्व रिकॉर्ड में मृतक दिखाकर उसकी सम्पत्ति अन्य लोगों के नाम कर दी गई। वह संघ का नया सदस्य है इसलिए इस बार झण्डा वही फहराएगा।
लालबिहारी ने पुलिस प्रशासन के डर से उसके नाम का अभी खुलासा नहीं किया। उन्होंने बताया कि उस व्यक्ति को १९७६ में सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया था। लम्बी लड़ाई के बाद ३० जून 1994 को वह कागजातों में जीवित हो सका।
इसके लिए वह दो पूर्व प्रधानमंत्रियों स्व। राजीव गाँधी और विश्वनाथ प्रतापसिंह के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा, विधानसभा में पर्चे फेंके तथा उच्च न्यायालय तक भी गया। उन्होंने बताया कि उनके संघ में करीब १५५ लोग शामिल हैं, हालाँकि इनमें से ज्यादातर लोगों को कागजातों में पुनः जीवित कर दिया गया है।
संघ अध्यक्ष ने दावा किया कि अभी भी इस तरह के ३०० से अधिक मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस लड़ाई के लिए उन्हें अमेरिका की हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से इग्नोबल पुरस्कार भी मिल चुका है।
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