Jul 8, 2008

लेफ्ट समर्थन वापस लिए जाने की घोषणा की।

नई दिल्लीः परमाणु करार के मुद्दे पर लेफ्ट और यूपीए के बीच लंबे समय से चल रहे राजनीतिक डामा पर से मंगलवार को पर्दा उठ ही गया। लेफ्ट ने अपनी समन्वय समिति की बैठक के बाद यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिए जाने की घोषणा की। लेफ्ट के नेताओं ने अपने फ़ैसले की जानकारी देने के लिए बुधवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मिलने का वक़्त मांगा है। लेफ्ट के नेता कल १२ बजे राष्ट्रपति से मिलकर समर्थन वापसी कि चिट्ठी सौंपेंगे।
लेफ्ट के समर्थन वापसी के फैसले पर विचार-विमर्श के लिए कांग्रेसे ने सोनिया गांधी के घर पर इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। एनडीए ने बुधवार को अपने सभी घटक दलों की आपात बैठक बुलाई है। एनडीए के सभी मुख्यमंत्रियों को भी दिल्ली में होने वाली इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए कहा गया है।
सीपीएम हेडक्वॉर्टर में लेफ्ट की समन्वय समिति की बैठक में सरकार से समर्थन वापस लेने का फ़ैसला किया गया। बैठक में सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात, सीपीआई महासचिव ए. बी. बर्धन व डी. राजा, आरएसपी के नेता टी. जे. चंद्रचूड़न व अवनि राय, फॉरवर्ड ब्लॉक के देवव्रत विश्वास व जी. देवराजन ने हिस्सा लिया।
प्रकाश कारत के अनुसार लेफ्ट ने विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी को पत्र भेज दिया है। लेफ्ट ने मुखर्जी को लिखा है कि १० जुलाई को यूपीए-लेफ्ट कमिटी की प्रस्तावित बैठक की कोई सार्थकता नहीं है। करात ने कहा कि परामणु डील के लिए आईएईए में जाने की घोषणा के बाद १० जुलाई को बुलाई यूपीए- लेफ्ट की बैठक का कोई मतलब नहीं रह गया था।
सीपीएम महासचिव ने कहा कि हमने चेताया था कि अगर सरकार आईएईए में जाने का फ़ैसला करती है तो लेफ्ट उससे अपना समर्थन वापस ले लेगा। करात ने कहा कि सरकार ने सुरक्षा समझौते का मसौदा सौंपने से इंकार कर दिया, जिसके बगैर यूपीए-लेफ्ट कमिटी अपने नतीज़ों को अंतिम रूप दे पाने में सक्षम नहीं होती। करात ने सवाल किया कि मनमोहन सिंह की सरकार आईएईए समझौते के मसौदे को देश की जनता से छिपा क्यों रही है।
इधर, सरकार से समर्थन वापस लेने के लेफ्ट के फैसले पर आश्चर्य नहीं प्रकट करते हुए रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि इससे सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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