Jul 14, 2008

नार्को टेस्ट और ब्रेन मेपिंग का नया विकल्प " इलेक्ट्रिकल आसिलेशन सिग्नेचर (बीईओएस) "

देश में नार्को विश्लेषण और ब्रेन मैपिंग परीक्षणों की वैधता को लेकर हो रही बहस के बीच फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने दावा किया है कि नई तकनीक ब्रेन इलेक्ट्रिकल आसिलेशन सिग्नेचर (बीईओएस) आपराधिक मामलों की जाँच के लिए वर्तमान प्रणालियों से अधिक प्रभावी है।
फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय के सलाहकार मुकुंदन सीआर ने बताया बीईओएस संदिग्ध व्यक्ति के चुप रहने की स्थिति में भी मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को पढ़ सकता है। यह अनेक संदिग्धों में से अपराध में शामिल वास्तविक व्यक्ति का पता लगा सकता है, जबकि नार्को विश्लेषण और ब्रेन मैपिंग में यह संभव नहीं है।
तकनीक के विकास में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मुकुंदन ने कहा कि बीईओएस को ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी ने पहले ही सराहा है। सोसायटी ने हमसे वहाँ अन्य शोध कार्यों को जारी रखने के लिए प्रयोगशाला बनाने के लिए भी कहा है।
उन्होंने कहा कि नार्को विश्लेषण परीक्षण और ब्रेन मैपिंग किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँचते, इसलिए विश्व के अनेक भागों में इसे सभी जाँच एजेंसियों ने छोड़ दिया है।
मुकुंदन ने कहा नार्को विश्लेषण परीक्षण में पाँच प्रतिशत बात ही मतलब की होती है, बाकी बेमतलब। मादक पदार्थों के प्रभाव में इस परीक्षण के दौरान संदिग्ध वह भी बोलता है, जो उसने किया नहीं, लेकिन करना चाहता था। यह बिलकुल शराब के दो तीन पैग पिए हुए व्यक्ति को सुनने जैसा है।
ब्रेन मैपिंग भी ठोस नतीजा नहीं देती। इसमें कोई विशेषता नहीं है और यह शरीर का तापमान मापकर किसी बीमारी का पता लगाने जैसी है।
मुकुंदन ने कहा कि ब्रेन मैपिंग और बीईओएस दोनों में ही मस्तिष्क की सतह से समय के अंतर्गत इलेक्ट्रिकल गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है। ब्रेन मैपिंग के मामले में संदिग्ध को कुछ बोलना पड़ता है और बीईओएस के अंतर्गत वह चुप रह सकता है।
मुकुंदन ने कहा यही बीईओएस की सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें संदिग्ध पर जवाब देने के लिए दबाव नहीं डाला जाता।
फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय दिल्ली के निदेशक एमएस राव ने कहा बीईओएस इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल गतिविधि (ईईजी) को रिकॉर्ड करने के लिए परंपरागत गैर आक्रामक और सुरक्षित प्रणाली है। इस तरह यह आपराधिक जाँच के लिए वर्तमान में इस्तेमाल में लाए जाने वाले तरीकों से बेहतर है।
उन्होंने कहा विदेशों में नागरिक मामलों में आपराधिक जाँच के लिए नार्को विश्लेषण परीक्षण पर कानूनन प्रतिबंध लगा दिया गया है।

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