अमेरिका, १५ सितम्बर- अमेरिका के चौथे सबसे बड़े निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स के दीवालिया होने से उठा यह संकठ मेरिल लिंच के बिकने से और भयानक हो गया। इसके चलते अमेरिकी आकाश पर बीते कुछ महीनों से छाए सबप्राइम संकट के बादल भी घनीभूत हो गए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही अमेरिका की दिग्गज बीमा कंपनी एआईजी पर भी इस संकट की छाया पड़ सकती है।
सब प्राइम बाजार के संकट ने ही अमेरिका समेत लगभग पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को मंदी की तरफ धकेल दिया है। इस संकट के विकराल होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के पांच प्रमुख बैंकों में से दो सिटीग्रुप और बेयर स्टर्न्स इसकी चपेट में पहले ही आ चुके हैं।
संकट का ताजा शिकार लेहमन ब्रदर्स बना है। इसके चलते इसको चार अरब डालर का भारी नुकसान हुआ है। बैंक को उबारने की कोशिशें नाकाम होने के बाद लेहमन ने खुद को दीवालिया घोषित कराने के लिए आवेदन करने का फैसला किया है। दीवालिया हो जाने पर १५८ वर्ष पुराने लेहमन बैंक का अंत हो जाएगा। बैंक का मानना है कि दीवालिया घोषित होने से उसकी सहायक कंपनियों को परिचालन जारी रखने का अवसर मिलेगा।
वित्तीय संकट में फंसे लेहमन को खरीदने के लिए किसी भी वित्तीय संस्थान ने रुचि नहीं प्रदर्शित की। एक दिन पहले बैंक को सरकारी मदद देने के लिए बुलाई गई बैठक भी अमेरिकी वित्त मंत्री हेनरी पाल्सन और अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के बीच सहमति न बन पाने के कारण बेनतीजा रही थी।
लेहमन की तुलना में अमेरिका का एक अन्य निवेश बैंक मेरिल लिंच थोड़ा भाग्यशाली रहा और इसको खरीदने के लिए बैंक आफ अमेरिका राजी हो गया। ५० अरब डालर के इस सौदे से विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय सेवा कंपनी का सृजन होगा।
मीडिया रपटों के अनुसार अगर और निवेश नहीं हुआ तो एआईजी भी कुछ ही दिन चल पाएगा। एआईजी के अधिकारी परिसंपत्तिबेचते हुए धन जुटाने या निजी इक्विटी से धन हासिल करने के प्रयास कर रहे हैं।
सब प्राइम बाजार के संकट के कारण अमेरिका के वित्तीय बाजार की दिग्गज कंपनियों को अरबों डालर का चूना लगा है। इसका असर लगभग पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर देखने को मिल रहा है। विभिन्न समाचारों में कहा गया है कि स्थिति पर नियंत्रण के लिए फेडरल रिजर्व ने कुछ तात्कालिक कदम उठाए हैं जिनके चलते बैंक तथा प्रतिभूमि फर्मे केंद्रीय बैंक से उधारी ले सकती हैं। इस बीच सिटीग्रुप तथा क्रेडिट सुइस ग्रुप ने अपने धन का इस्तेमाल करते हुए ७० अरब डालर की ऋण सुविधा स्थापित करने पर सहमति जताई है। इसका उपयोग वित्तीय संकट से निपटने में किया जाएगा।
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