Aug 17, 2008

राणे को पार्टी में नहीं मिली वरीयता

नई दिल्ली, १७ अगस्त- महाराष्ट्र के पार्टी संगठन में फेरबदल पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रविवार को मुहर लगाने के साथ ही असंतुष्ट पार्टी दिग्गज नारायण राणे कांग्रेस में 'बेगाने' की हालत में पहुंच गए हैं। मगर उनके समर्थकों ने भी पुख्ता संकेत दे दिया है कि जुझारू राणे चुप नहीं रहेंगे बल्कि अगले चुनाव में इसका बदला चुकाने से गुरेज नहीं करेंगे। माना जा रहा है कि निकट भविष्य में ही राणे कांग्रेस को 'बाय-बाय' कह अपनी नई राजनीतिक दिशा की घोषणा कर सकते हैं।
वहीं, कांग्रेस नेतृत्व ने संगठनात्मक फेरबदल को अमलीजामा पहना नारायण राणे को दो टूक संदेश दे दिया कि एक साल से प्रदेश नेतृत्व में वर्चस्व को लेकर चल रहे घमासान के घाव में अब और मवाद उसे सहन नहीं है। माणिक राव ठाकरे की महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह की मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति इसका प्रमाण है। सोनिया गांधी ने रविवार को इनकी नियुक्ति पर मुहर लगा दी और पार्टी ने बिना देर किए इसकी घोषणा भी कर दी। माणिक राव और कृपाशंकर दोनों के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख से बेहतर रिश्ते हैं जबकि राणे व देशमुख का छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है।
प्रदेश संगठन में हुए इस बदलाव में कोई तवज्जो नहीं दिए जाने पर राणे समर्थक एक विधायक का कहना था कि इससे उन्हें ज्यादा अचरज नहीं हुआ है। पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री देशमुख को लेकर कोई सख्त फैसला नहीं करना चाहता था। यह सब जानते हुए कि मुख्यमंत्री किस तरह राणे की राजनीतिक जमीन खोदने में लगे हुए हैं। ऐसे में हमेशा रणभेरी की आवाज बुलंद करने वाले राणे कैसे चुप रह सकते हैं? उनके निकटस्थ समर्थकों के अनुसार राणे को किनारा किए जाने का पहले ही अहसास हो चुका था। इसलिए वे अपनी आगे की राजनीतिक रणनीति बनाने में जुटे हैं। शिवसेना से बगावत करने की वजह से भाजपा की राह लगभग बंद है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस में छगन भुजबल सरीखे लोगों के किनारे होने का उदाहरण उनके सामने है। ऐसे में इस बात की संभावना अधिक है कि राणे खुद अपनी पार्टी बना कांग्रेस और देशमुख को सबक सिखाने की जल्द राजनीतिक घोषणा कर सकते हैं।

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