Jul 4, 2008

किसानों की कर्ज माफी पर अमल शुरू

भारतीय बैंकों ने किसानों को चौथे आम बजट में की गई कर्ज माफी की घोषणा पर अमल शुरू कर दिया है। बैंकों ने उन किसानों की सूची जारी की है सरकार ने जिनके कर्ज़ माफ कर दिए हैं।
इसी साल फरवरी में आम बजट में दौरान केंद्र सरकार ने तकरीबन तीन करोड़ किसानों को राहत देते हुए लगभग ७० हजार करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। जानकारों का मानना है कि एक तरह से ये भारत के खाद्यान संकट से निपटने के लिए सरकार की आखिरी कोशिश है।
कर्ज न चुका पाने की वजह से हर साल तकरीबन १० हजार किसान आत्महत्या कर लेते हैं। देश के सभी सरकारी बैंकों ने उन सभी किसानों के नामों की सूची जारी की गई है, जिनके कर्ज माफ किए गए हैं।
इस सूची के जारी होने के एक महीने बाद तक कोई भी ऐसा किसान अपना नाम इस सूची में डलवा सकता है जिसका नाम इसमें नहीं आया है।
कई कमियाँ हैं योजना में : लेकिन सरकार की इस योजना में कई कमियाँ भी सामने आ रही हैं। सरकार की कर्ज माफी योजना की महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा निंदा हो रही है। महाराष्ट्र वो इलाका है, जहाँ पूरे भारत में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की थी।
इसके अलावा सरकार ने नए कर्ज जारी नहीं किए हैं। २००६-२००७ में बड़ी संख्या में किसानों के आत्महत्या करने के बाद भारत के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने राहत पैकेज की घोषणा की थी। इस योजना की जो सबसे बड़ी कमी सामने आ रही है वो है सिर्फ छोटे किसानों की कर्ज माफी।
सरकार की योजना के मुताबिक बैंकों की इस सूची में सिर्फ उन किसानों के नाम शामिल होंगे, जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन है और जिन्होंने १९९७ -२००७ के बीच कर्ज लिए हैं।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कपास की खेती वाले इलाके विदर्भ में ज्यादातर किसानों के पास दो एकड़ से ज्यादा जमीन है और वो सरकार की इस योजना से फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।
सरकार की इस योजना पर आलोचकों का कहना है कि अगर बैंक किसानों को बीज और खाद खरीदने के लिए नए कर्ज जारी नहीं करेंगे तो इस योजना का फायदा नहीं हो पाएगा।
फिलहाल बैंकों ने नए कर्ज देने में असमर्थता जताई है और केंद्र सरकार से माँग की है कि वो जल्द से जल्द पैसा जारी करे ताकि किसानों को नए कर्ज दिए जा सकें।
मानसून के आते ही खेतों में बीज डालने का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में अगर किसानों को तुरंत कर्ज नहीं मिले तो वो एक बार फिर सूदखोरों के चक्कर में फँस सकते हैं।

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