Jun 30, 2008

'परमाणु क़रार लागू करने से पहले संसद का सामना करेंगे'

देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले कुछ दिनों की अपनी चुप्पी तोड़ते हुए वामदलों की समर्थन वापसी की चेतावनी को दरकिनार कर दिया सोमवार को कुछ पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार अमरीका के साथ संभावित परमाणु क़रार को लागू करने से पहले संसद का सामना करने के लिए तैयार है ।
उन्होंने इस बात की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी(आईएईए) और परमाणु आपूर्ति समूह(एनएसजी) के साथ समझौते की प्रक्रिया पूरी करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "हमें परमाणु क़रार पर चल रही प्रक्रिया पूरी करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए. एक बार हम इसे पूरा कर लें, फिर हम संसद के सामने इसे रखेंगे."
प्रधानमंत्री का यह ताज़ा बयान एक दिन पहले ही यानी रविवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की चेतावनी के बाद आया है जिसमें सीपीएम ने स्पष्ट कहा था कि अगर सरकार परमाणु क़रार पर आगे बढ़ती है तो वे यूपीए से समर्थन वापस ले लेंगे ।
वामपंथी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं पर वामदलों और सरकार के बीच पिछले कुछ महीनों से परमाणु क़रार के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है ।
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि जहाँ कांग्रेस परमाणु क़रार को लेकर प्रतिबद्ध नज़र आ रही है वहीं वामदल क़रार को किसी भी क़ीमत पर लागू होते नहीं देखना चाहते हैं ।
अब इस मुद्दे पर अगर वामदल सरकार से समर्थन वापस लेते हैं तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी । हालांकि सीपीएम महासचिव के बयान के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा था कि उनकी सरकार को वामदलों के समर्थन वापस लेने से कोई ख़तरा नहीं पैदा होने वाला ।
इसके ठीक बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का यह ताज़ा बयान इस बात को और पुष्ट करता है कि सरकार परमाणु क़रार के मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है । हालांकि सोमवार को अपने बयान में प्रधानमंत्री ने यह भी विश्वास जताया है कि परमाणु क़रार के मसले पर सरकार वामदलों सही अन्य राजनीतिक दलों की चिंता को भी ध्यान में रखकर आगे बढ़ेगी ।

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