Oct 4, 2008

वर्ष १९९३ हुए सूरत धमाकों में पूर्व मंत्री मोहम्मद सूरती को सजा

सूरत, ४ अगस्त- गुजरात के सूरत में वर्ष १९९३ में हुए बम धमाकों के मामले में टाडा अदालत ने शनिवार को राज्य के पूर्व मछली पालन मंत्री मोहम्मद सूरती और चार अन्य को २० वर्ष की सजा और सात अन्य को दस वर्ष की सजा सुनाई, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया।
टाडा अदालत के न्यायाधीश आरपी धोलाडिया ने मोहम्मद सूरती और ११ अन्य को बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराया, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया। मुंबई में हुए सिलेसिलेवार बम विस्फोटों के तुरंत बाद २८ जनवरी १९९३ को सूरत में दो बम विस्फोट हुए थे, जिसमें एक लड़की की मृत्यु हो गई थी और ३८ अन्य घायल हो गए थे।
टाडा अदालत ने सूरती, हुसैन घादियाली, इकबाल वाडीवाला, मुस्ताक पटेल और युसुफ दादू को २० वर्ष की सजा सुनाई है। अदालत ने सूरती और दो अन्य अभियुक्त हुसेन घादियाली तथा कांग्रेस के पूर्व पार्षद इकबाल वाडीवाला पर दो-दो लाख रुपये, मुस्ताक पटेल पर एक लाख रुपये और यूसुफ दादू पर ५० हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पहला बम सूरत के वार्छा इलाके में फटा था जिसमें एक लड़की अल्पा पटेल की मृत्यु हो गई थी और एक बम रेलवे स्टेशन पर फटा था जिसमें ३८ लोग घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में पूर्व मंत्री समेत १३ लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत ने लगभग १५ वर्ष के बाद आज सजा सुनाई है। इस मामले में १६६ गवाहों एवं पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान दर्ज कराए।

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