नई दिल्ली/वाशिंगटन, ४ सितम्बर- अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के अमरीकी कांग्रेस को लिखे गये गोपनीय पत्र को लेकर भारत में राजनीतिक तूफान आ गया है तथा परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देश समूह एनएसजी की महत्वपूर्ण बैठक से ठीक पहले परमाणु समझौते पर भी सवालिया निशान लग गया है।
अमरीकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने अपने विशेष संस्करण में बुश द्वारा अमरीकी कांग्रेस को लिखे गये पत्र का ब्यौरा उजागर किया है इस पत्र में बुश ने साफ किया है कि परमाणु परीक्षण करने की हालत में समझौता तुरंत रद्द हो जायेगा।
बुश ने संभवतः गत जनवरी में लिखे इस पत्र में अमरीकी सांसदों को बताया था कि भारत को परमाणु ईंधन का सुरक्षित भंडार बनाने की अनुमति बिना शर्त नहीं दी गयी है तथा समझौते के तहत अमरीका भारत को अत्याधुनिक परमाणु तकनीकी हस्तांतरित नहीं करेगा।
बुश के पत्र के इस रहस्योद्घाटन से भारत में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है तथा परमाणु समझौते का विरोध कर रहे वामपंथी दलों और भाजपा ने सरकार पर देश को धोखे में रखने और झूठ बोलने का आरोप लगाते हुये समझौते को खारिज करने की मांग की है।
इस बीच विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने स्पष्ट किया है कि बुश का पत्र अमरीका का आंतरिक मामला है। सरकार केवल भारत अमरीका के बीच हुये द्विपक्षीय १२३ समझौते से बंधी है।
मुखर्जी ने कहा कि दूसरे देश की सरकार के विभिन्न अंगों के बीच हुये पत्राचार पर हम प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते।
No comments:
Post a Comment