
इसके चलते यह पता लगाना लगभग असंभव होता है कि किस फोन का इस्तेमाल कौन कर रहा है। इन फोनों पर कॉल ट्रेस करना भी असंभव सा है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चीन के मोबाइल फोनों के साथ कई समस्याएं है। तकनीकी पक्ष अपनी जगह है लेकिन दूसरा पक्ष भी कम परेशान करने वाला नहीं हैं। यह फोन भारत में अधिकृत एजेंसियों या कंपनियों द्वारा नहीं बेचे जा रहे हैं। इनकी कालाबाजारी होती है और बेचने वाला न तो इनकी कोई रसीद देता है न दूसरी कोई गारंटी। ऐसे में इन फोनों को कौन खरीद रहा है यह पता लगाना और भी कठिन है। इस बात की आशंका बहुत च्यादा है कि इनका गलत इस्तेमाल हो सकता है।
यह पहला मौका नहीं है कि जब चीनी उपकरणों पर सवाल उठा है। इससे पहले नैशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एमटीआरओ) ने टेलिकॉम उपकरणों की सप्लाई करने वाली एक चीनी कंपनी को सुरक्षा के लिए खतरनाक माना था। एनटीआरओ को आशंका है कि यह चीनी कंपनी अपने उपकरणों के जरिए भारत के प्रमुख सैन्य अफसरों, बड़े अफसरों और उद्योगपतियों व अन्य प्रमुख लोगों से जुड़ी सूचनाएं इकट्ठा कर रही है।
पिछले साल हुई जॉइंट इंटेलिजेंस कमिटी की बैठक में उक्त कंपनी के बारे में चर्चा हुई थी। जेएमसी ने भी इस चीनी कंपनी को भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना था। गुड़गांव में स्थित इस कंपनी के ऑफिस में भी सुरक्षा एजंसियों ने छानबीन की थी। हालांकि इस बारे में कोई बड़ा कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
गृह मंत्रालय के अधिकारी यह मानते हैं कि जिस तरह आतंकवादी संगठन अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे देखते हुए चीन के मोबाइल काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस ओर फौरन ध्यान दिया जाना चाहिए।
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