Sep 18, 2008

चंद्रयान-2 को कैबिनेट की मंजूरी दी

नयी दिल्ली, १८ सितम्बर- चांद पर मिशन भेजने की भारतीय वैज्ञानिकों की तैयारियों के बीच सरकार ने आज एक अन्य चंद्र मिशन को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चंद्रयान-2 को मंजूरी दी गयी जो रूस की मदद से संचालित होगा और इसे २०११-१२ में छोड़े जाने की उम्मीद है।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने बताया कि वैज्ञानिक चंद्रमा की सतह के रासायनिक विश्लेषण और वहां अन्य संसाधनों का पता लगाने के लिए मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। भारत ने चंद्रयान-२ के बारे में शुरूआती तकनीकी बातचीत चालू कर दी है। दूसरा मिशन चंद्रयान-। के मुकाबले संक्षिप्त होगा। चंद्रयान-१ को इसी साल लांच किया जाना है।
चंद्रयान-२ के बारे में समझौता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पिछले साल नवंबर में मास्को यात्रा के दौरान किया गया था। समझौता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रूस की फेडरल अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मास के बीच किया गया। चंद्रमा पर मौजूद खनिज नमूनों से पता चलता है कि उनमें हीलियम-३ है। यह गैस रेफ्रीजरेटर में इस्तेमाल होती है। चंद्रयान-२ के जरिए इसी गैस का पता लगाने की कोशिश की जाएगी ताकि ऊर्जा संकट का समाधान खोजने में मदद मिल सके।
चंद्रयान-२ से देश के चंद्रमा मिशन को काफी मदद मिलेगी जिसके तहत चंद्रमा की सतह का सर्वे होगा ताकि वहां के रासायनिक तत्वों की सही तस्वीर मिल सके। सर्वे के जरिए वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर यान उतारने की जगह की पहचान करने में मदद मिलेगी। साथ ही परीक्षणों के लिए सामरिक जगह का पता लगाने में सहायता मिलेगी। इसरो ने हाल ही में बेंगलूर के निकट ब्यालालू में ३२ मीटर व्यास का एंटीना तैयार किया है, जो चंद्रयान-२ को कमांड एवं उसकी स्थिति का पता लगाने में मदद करेगा।
एंटीना और संयुक्त प्रणालियां ’’ गहरे अंतरिक्ष का भारतीय नेटवर्क ’’ बनाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है। अंतरिक्ष यान और पृथ्वी के बीच दोतरफा रेडियो संचार लिंक स्थापित के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। छह भारतीय उपकरणों के अलावा इस मिशन के जरिए अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और स्वीडेन के पेलोड ले जाए जाएंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान के प्रक्षेपण से जुड़ी सभी प्रणालियां सही ढंग से काम कर रही हैं।

No comments: