Aug 28, 2008

भदोही बन रही है संदिग्धों की पनाहगाह

भदोही, २८ अगस्त-आतंकवादियों की शरण स्थली के रूप में बदनाम हो रही कालीन नगरी ने क्या जाने-अनजाने उन बंग्लादेशी घुसपैठियों को भी पनाह दे डाली है जो समय बीतने के साथ यहां के सरकारी अभिलेखों में अपना नाम दर्ज कराकर स्थायी निवासी बन चुके है। यदि इसका खुलासा समय रहते नहीं किया गया तो संभव है निकट भविष्य में कालीन नगरी आतंकवादियों की शरण स्थली के रूप में कलंकित हो सकती है।
देश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से यह बात कई बार सामने आ चुकी है कि पाकिस्तानी घुसपैठियों के लिये बांग्लादेश की सीमा एक सुरक्षित रास्ता है। जहां से वे आसानी से सीमा पार कर देश में प्रवेश कर जाते है और देश के विभिन्न स्थानों पर झोपड़ी बनाकर या फिर किराये पर मकान लेकर बस जाते है। पश्चिम बंगाल व बंग्लादेशियों के बीच अन्तर कर पाना लोगों के लिये मुमकिन नहीं होता। लिहाजा खुद को पश्चिम बंगाल का बताकर बंग्लादेशी आसानी से देश के विभिन्न हिस्सों सहित भदोही में भी रह रहे है।
बताते चलें कि गत पांच वर्ष पूर्व स्थानीय अधिसूचना इकाई द्वारा की गयी जांच में सैकड़ों ऐसे संदिग्ध लोगों को चिन्हित किया गया था जो खुद को पश्चिम बंगाल का बताते है। खुफिया विभाग को इसका सत्यापन पश्चिम बंगाल सरकार से कराना था जो एसपी के माध्यम से संभव था। समय बीतने के साथ यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सत्यापन कार्य में लंबा समय बीतने के साथ ही चिन्हित तमाम संदिग्ध बकायदा मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के साथ ही राशन कार्ड बनवाकर स्थायी निवासी का भी अधिकार हासिल कर चुके है।
करीब चार माह पूर्व जागरण द्वारा खमरिया में लगाये गये नागरिक समस्या शिविर में एक और भी चौकाने वाला मामला सामने आया था जिसमें वोट पाने के खातिर नगर पंचायत के अधिकारी की मुहर लगी हुई हस्ताक्षर युक्त सादा निवास प्रमाण पत्र पकड़ में आया था जो चुनाव के दौरान किसी का भी नाम भरकर दे दिया जाता था। इसके आलावा भदोही-औराई रोड पर स्थित सर्रोई बाजार में एक मिशन के रूप में बांग्लादेशियों को बसाया जा रहा है । प्रशासन की उदासीनता व खुफिया तंत्र के शांत बैठने से ना जाने कितने संदिग्ध चेहरों को कालीन नगरी पनाह देने को मजबूर हो गयी है।
ऐसे लोगों के स्थायी निवास के सत्यापन व क्रियाकलापों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आतंकवाद के नाम पर हाशियें पर आयी कालीन नगरी की फिजा ही बदल सकती है। हालांकि इस मामले में बुधवार को मंडल के डीआईजी चंद्रदेव तिवारी ने पत्रकारों के सवाल पर इस बात को स्वीकार करते हुये सत्यापन जांच रिपोर्ट तलब करने की बात कही है।

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