मुक्केबाज अखिल कुमार ने वादा किया था कि वे स्वतंत्रता दिवस पर देश को तोहफा देंगे और उन्होंने रूस के विश्व चैम्पियन मुक्केबाज को हराकर अपना वादा पूरा कर दिखाया। वे अपने इस वादे को पूरा करने के साथ ही बीजिंग ओलिम्पिक के क्वार्टरफाइनल में पहुँच गए हैं।
अखिल ने ५४ किग्रा वर्ग के दूसरे राउंड के मुकाबले में रूस के विश्व चैंपियन सर्गेई वोदोपेनोव को काँटे की टक्कर में हराया। मुकाबले का स्कोर १-२, ३-४, ३-२ और २-१ रहा। चार राउंड के बाद दोनों मुक्केबाज ९-९ की बराबरी पर थे, लेकिन जजों ने अखिल को विजेता घोषित कर दिया। हार की खबर सुनकर रूसी मुक्केबाज स्तब्ध रह गए और भावना पर काबू नहीं रख पाए। वे रिंग में ही रो पड़े।
आज अखिल की शुरुआत अच्छी नहीं रहीं, वे दो राउंड के बाद ४ -६ से पिछड़े हुए थे, लेकिन अंतिम दो राउंड में उन्होंने ताबड़तोड़ पंच मारते हुए चार राउंड की समाप्ति तक मुकाबला बराबरी पर ला दिया। अब क्वार्टरफाइनल मुकाबले में अखिल का मुकाबला मोलदोवा गणराज्य के विक्सलोव गोजन से होगा।
दूसरा राउंड तो वोदोपेनोव के नाम रहा। उन्होंने इस राउंड में अखिल पर हुक्स और पंच की बौछार कर दी और वह दूसरे राउंड में अखिल पर ६-४ की बढ़त बना ले गए। इस समय ऐसा लग रहा था कि अखिल शायद ही वापसी कर पाए।
तीसरे राउंड में वोदोपेनोव अखिल को रिंग में चारों तरफ दौड़ाने लगे। लेकिन अखिल भी कहाँ बाज आने वाले थे। उन्होंने इस राउंड में भी दो शक्तिशाली प्रहार जमा ही दिए और वे यह राउंड ३-२ से जीत गए।
आखिरी राउंड में अखिल वोदोपेनोव के ८ अंक के मुकाबले सात अंक पर थे। इस राउंड में विश्व चैंपियन वोदोपेनोव रक्षात्मक मूड में आ गए थे और वे खुद को बचाने की कोशिश करने लगे, लेकिन अखिल विश्व चैंपियन को बख्शने के मूड में नहीं थे। उन्होंने एक सीधा पंच उनके जबड़े पर जड़ा और एक अंडर कट जड़ने के साथ इस राउंड को २-१ से अपने नाम कर लिया।
अब दोनों खिलाड़ियों का स्कोर ९-९ हो गया। पाँच जजों की ज्यूरी ने अखिल को ज्यादा पंच मारने के आधार पर विजेता घोषित कर दिया। अखिल को जब विजेता घोषित किया गया तो रूसी मुक्केबाज रिंग में रो पड़े।
जीत के बाद गदगद अखिल ने कहा कि मेरा सपना तो स्वर्ण है, अब मैं इसे जीत पाता हूँ या नहीं, यह मेरे भाग्य पर निर्भर करता है। मैं तो अपनी तरफ से कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। अगले राउंड को कठिन बताते हुए अखिल ने कहा कि अगला राउंड आसान नहीं है। लेकिन मुझे स्वर्ण जीतने का पूरा भरोसा है। भगवान मेरे साथ है और मुझे उन पर पूरा भरोसा है।
२००४ के एथेंस ओलिम्पिक में जेरम थॉमस से हारकर पहले राउंड से बाहर होने वाले अखिल ने पदक की उम्मीदें जगा दी है। जीत के बाद अखिलकुमार ने कहा कि उन्हें जीत का पूरा भरोसा था।
गौरतलब है कि २००६ के कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने ५४ किलोग्राम वर्ग में ही मार्शियन साउथपा ब्रुनो जुली को हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था।
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