Sep 17, 2008

एफआईआर दर्ज करने का मामला वृहद पीठ को

नई दिल्ली, १६ सितंबर- उच्चतम न्यायालय ने संज्ञोय अपराध के संबंध में सूचना मिलने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट ( एफआईआर) दर्ज करने के लिए पुलिस बाध्य है या इससे पहले एक पुलिस अधिकारी को प्रारंभिक जांच करनी चाहिए के मुद्दे को आज वृहद पीठ को भेज दिया।
न्यायमूर्ती बीबी अग्रवाल और न्यायमूर्ती जीएस सिंघवी की पीठ ने ललिता कुमारी की याचिका को तीन सदस्यीय वृहद पीठ को भेज दिया। याचिकाकर्ता की बालिका का गाजियाबाद के कुछ प्रभावशाली लोगों ने अहपरण कर लिया और लोनी थाने के प्रभारी ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने बजाए शिकायत वापस लेने के लिये दबाव बनाने लगा। गत वर्ष हुई इस घटना के संदिग्ध आरोपी स्वछंद घुमते रहे और पीडिता की मां को लगातार डराता धमकता रहा। न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले को तब वृहद पीठ को भेजने का निर्णय किया जब केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कहा कि किसी के आरोप पर मामला दर्ज करने से पहले पुलिस को प्रारंभिक जांच करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि कोई आपसी रंजिश के कारण किसी व्यक्ति को गलत तरीके से फंसा नहीं सके।
हालांकि न्यायाधीशों का मानना था कि एक पुलिस अधिकारी के विवेक पर इसे छोडने से वह मामला दर्ज करने से मुकर सकता है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायालय ने कहा कि हम सब जमीनी हकीकत जानने के साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली भी जानते हैं। न्यायाधीशों ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया ताकि वह समुचित पीठ का गठन कर सकेंगे।

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