Jul 17, 2008

केरल हाईकोर्ट नें पुलिस को `वर्दी वाला डॉन' कहा

कोच्चि, १६ जुलाई । केरल हाईकोर्ट ने पुलिस तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और भेदभाव पर तल्ख टिप्पणी की है। अदालत ने सत्ता से करीबी रखने वाले रसूखदार अफसरों को ``वर्दी वाला डॉन'' करार दिया है। अदालत ने कहा है कि रसूख वाले अफसर अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद सारी मलाई मार ले जाते हैं।
न्यायमूर्ति वी। रामकुमार ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जवानों-अधिकारियों की सर्विस बुक में अच्छी एंट्री दर्ज हो जाती है, उन्हें तरक्की भी मिल जाती है और वे पुलिस पदक के लिए सिफारिश भी पा लेते हैं। उन्होंने कहा कि रसूख वाले अधिकारी अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद प्रभाव के बल पर ऐसे फायदे ले लेते हैं। उन्होंने ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों के बारे में कहा कि वे रसूख नहीं होने के चलते आसानी से शिकार बन जाते हैं और तमाम फायदों से वंचित रहते हैं। न्यायाधीश कुमार ने रसूखदार, आपराधिक छवि वाले पुलिसकर्मियों को वास्तविक डान करार दिया।
जज ने यह टिप्पणी सरकार की ओर से दायर एक आपराधिक पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए की। इस मामले में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और एक उपाधीक्षक (डीएसपी) आरोपी हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार के रूख से ऐसा लगता है कि वह डीएसपी को आईपीएस कैडर में प्रोन्नत होते नहीं देखना चाहती, जबकि उन्हें प्रोन्नति मिलने के पूरे आसार हैं। अदालत ने पूछा कि यह गंदा खेल कौन खेल रहा है? क्या सरकार इस खेल से वाकिफ है या फिर उसके बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है?
अदालत को बताया गया कि पुनर्विचार याचिका एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के निर्देश पर दायर की गई है। इससे पहले अदालत ने मामले की सुनवाई तय समय सीमा के भीतर करने के लिए कहा था। लेकिन सरकार ने इसकी अनदेखी करते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। इसी आधार पर अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी।

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