Jul 13, 2008

दो जून रोटी का भी जुगाड़ नहीं कर पाने वालों ने दिए माया को 13 करोड़

नई दिल्ली, १३ जुलाई- सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मायावती ने अपनी १३ करोड़ १८ लाख की राशि ऐसे १३० लोगों से दान में मिली बताई है जो अपने लिए दो जून रोटी का भी जुगाड़ नहीं कर सकते।
देश की प्रमुख जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय में दाखिल कराए अपने हलफनामे में कहा कि इस तथ्य के बारे में तब पता चला जब मायावती और उनके परिजनों द्वारा पेश की गई आयकर विवरणिका की जांच की गई।
हलफनामे में कहा गया है कि जांच से पता चला कि मुख्यमंत्री ने बाद में दान में दी गई इस राशि का आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना [वीडीआईएस] में खुलासा किया। हलफनामे में कहा गया है कि यह पता लगा है कि सचल और अचल परिसंपत्तियों को हासिल करने के उद्देश्य से धन के इस स्रोत को छिपाने के लिए मायावती, उनके पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों द्वारा ३०७ दान और उपहार लिए जाने की जानकारी दी गई है जिनकी कुल कीमत १३ करोड़ १८ लाख रुपये है। बताया गया है कि यह राशि १३० दानदाताओं से प्राप्त की गई।
सीबीआई ने शीर्ष न्यायालय को जानकारी दी कि इनमें से ३० दानदाताओं को पता लगाने के बाद उनकी जांच की गई। एजेंसी ने आरोप लगाया कि इन दानदाताओं ने बताया है कि उनके पास ऐसे उपाय या संसाधन नहीं हैं कि वे इस कदर बड़ी धनराशि वाले उपहार या दान दे सकें जैसा कि आय कर विवरणिकाओं में प्रदर्शित किया गया है।
मायावती ने शनिवार को कहा था कि उनके खिलाफ दायर मामला राजनीति से प्रेरित है। सीबीआई ने इस आरोप से इंकार करते हुए कहा कि उसके द्वारा न्यायालय में पेश किया गया हलफनामा मुख्यमंत्री द्वारा दायर उस याचिका की प्रतिक्रिया में दिया गया है जिसमें उन्होंने [मायावती ने] उच्चतम न्यायालय से अपने खिलाफ अक्तूबर २००३ में दायर प्रथम सूचना रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की थी।
अपने हलफनामे में सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि आयकर विभाग ने भी कुछ दानदाताओं की जांच की है और जांच के दौरान विभाग को दिए गए दानदाताओं के बयान एजेंसी के बयानों के समान ही हैं। हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि दानदाताओं ने बताया कि दिल्ली के किसी महेश गर्ग ने उनके बैंक खाते खुलवाए। खाते खुलवाने के बाद उसने दानदाताओं के हस्ताक्षर किए हुए चेक अपने पास रख लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपने खातों में हुए लेन-देन के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि इन सभी खातों का संचालन गर्ग ही करता था।
हलफनामे में कहा गया है कि गुरचरण कौर, कुलवंत कौर और सरवन कौर नाम की तीन महिलाओं को मायावती को २८-२८ लाख रुपये की राशि दान देते बताया गया है। आयकर विभाग ने दर्ज किया है कि इन तीनों ने १९९७ की वीडीआईएस में २८ लाख रुपये की इस धनराशि की घोषणा की है। इन महिलाओं ने इस राशि पर कर भी अदा किया है।
वीडीआईएस में तीनों महिलाओं ने घोषणा की थी कि यह धन उन्हें उनके पिता हरि सिंह ने दिया था। जांच के दौरान पाया गया कि हरि सिंह एक मामूली दस्तकार है और वह इतना ही धन कमा पाता है कि उससे कोई बचत नहीं की जा सकती।
एजेंसी ने दावा किया कि इसके अलावा महिलाओं की अपनी भी ऐसी कोई आय नहीं है कि वे इतनी बड़ी धनराशि को किसी को उपहार के तौर पर दे सकें। सीबीआई ने यह भी कहा कि अर्जित आय से अधिक धन संबंधी जांच से यह भी पता चला कि १९९५ में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के बाद से मायावती की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ है।

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