देहरादून, 2 सितम्बर- गली-मुहल्लों की छतों पर कूदते-फांदते बंदर जो कभी घरों में घुस कर खाने का सामान उठा ले जाते हैं और जरा सी छेड़खानी पर किसी को भी काटने दौड़ पड़ते हैं।
जंगलों को छोड़ कर शहर के गली मोहल्लों और मंदिरों को अपना ठिकाना बनाने वाले बंदर जल्द ही उत्पीड़क प्राणी की श्रेणी में गिना जाएगा। उत्तराखंड में बंदर को अब उत्पीड़क प्राणी घोषित करने की तैयारी चल रही है।
उत्तराखण्ड में बंदरों के उत्पात की खबरें पहले भी कई शहरों से आती रही हैं, लेकिन अब जंगल कट जाने के कारण वन्य बहुल उत्तराखंड में भी अब बंदर जंगलवासी की बजाय शहरी कहलाना पसंद कर रहे हैं।
बाजार, दुकान, स्कूल, मंदिर, आवासीय कालोनियों यानी सभी जगहों पर बंदरों की ढिठाई और उपद्रव बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में धार्मिक स्थलों की बहुलता के चलते बंदरों को खाने-पीने की भी कोई कमी नहीं है।
वन विभाग के सूत्रों की मानें तो इससे निपटने के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड में बंदरों को उत्पीड़क प्राणी घोषित करने की तैयारी की जा रही है। यदि बंदर को उत्पीड़क प्राणी घोषित कर दिया गया, तो उसके बाद इन्हें पकड़कर जंगलों में खदेड़ने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
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