Jun 27, 2008

एड्स बन गई महामारी

अंतरराष्ट्रीय राहत संस्थाओं रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट का कहना है कि अफ्रीका के दक्षिणी भाग में स्थित कुछ देशों में एड्स महामारी इतनी बढ़ गई है कि इसे अब आपदा की संज्ञा देना उचित होगा।
उनका कहना है कि ये संकट इतना बढ़ गया है कि ये संयुक्त राष्ट्र की आपदा की परिभाषा के तहत आता है। संयुक्त राष्ट्र उस स्थिति को आपदा की संज्ञा देता है, जिसका कोई भी समाज अपने आप सामना करने में सक्षम न हो।
रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट संघ ने अंतरराष्ट्रीय आपदाओं पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है विश्व स्तर पर एड्स का मुकाबला करने के लिए खर्च किए जा रहे अरबों डॉलर उन लोगों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं तो या तो इसके शिकार हैं या फिर जिन्हें एड्स होने का खतरा है। इस संदर्भ में विशेष तौर पर यौनकर्मियों और नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों का जिक्र किया गया है।
हर साल ढाई करोड़ की मौत : एचआईवी/एड्स के लिए रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट संघ के विशेष प्रतिनिधि डॉक्टर मुकेश कपिला का कहना है जब एचआईवी और एड्स का इतिहास लिखा जाएगा तो मुझे लगता है कि लोग कहेंगे कि हमने आसान विकल्प ही चुने।
उनका कहना है यौनकर्मी और सुई के जरिए नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोग जिन्हें इसके संक्रमण का ज्यादा खतरा है, उनके लिए कुछ करने में सरकारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इस वार्षिक रिपोर्ट में इस बारे में भी चिंता जताई गई है कि एड्स राहत कार्य लड़ाई या फिर प्रकृतिक आपदाओं के समय पूरी तरह हाशिए पर पहुँच जाता है। एड्स महामारी एक आपदा का रूप ले चुकी है, क्योंकि इससे हर साल 2.5 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है। ये भी बताया गया है कि लगभग 3.3 करोड़ लोग एचआईवी या फिर एड्स से जूझ रहे हैं और लगभग 7हजार लोग हर रोज इससे संक्रमित हो रहे हैं।

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